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Thursday, 12 December 2024

Shares Meaning in Hindi | Shares Ka matlab Kya Hota Hai | Shares Kya Hote Hai?

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Shares Meaning in Hindi | Shares Ka matlab Kya Hota Hai | Shares Kya Hote Hai?

Shares Ka Meaning in Hindi : - 

जब से Share Market का चलन चालू हुआ है तभी से Share , Shares , Share Market , जैसे शब्द चलन में ज्यादा आने लगे है। 

Shares Meaning in Hindi | Shares Ka matlab Kya Hota Hai | Shares Kya Hote Hai?
Shares Meaning in Hindi | Shares Ka matlab Kya Hota Hai | Shares Kya Hote Hai?

Share Meaning : Share का हिंदी में मतलब होता है बाटना , साझा करना। 

Share शब्द को हमने अपने जीवन में बहुत बार उपयोग किया होगा। दैनिक बोल चाल की भाषा में Share का अर्थ होता है - अपनी किसी वस्तु को बाटना , साझा करना , किसी को Use के लिए देना। 

इस पोस्ट में हम Share Market हो होने वाले Share , Shares का Hindi में मतलब समझेंगे। और जानेगे कि Share Market क्या है। , Shares Kya Hota Hai ?

यदि आप शेयर मार्केट को समझते है तो आपको शेयर्स का पता होगा , क्युकि share Market में Shares , Share के उपयोग के बिना शेयर मार्केट अधूरा है। 

हमारी वेबसाइट Pari Digital Marketing में आपका स्वागत है इस पोस्ट में आपको शेयर क्या हैं?, (Share meaning in Hindi), शेयर खरीदने का क्या मतलब है, शेयर कम ज्यादा होने का क्या कारण है , शेयर के फायदे और आप शेयर कैसे खरीद सकते हैं? जैसे प्रश्नों के जबाब मिलेंगे। 

शेयर क्या होता है | Shares meaning in Hindi

Shares Meaning in Hindi:

Shares in hindi अंश अथवा शेयर का अर्थ किसी कम्पनी में भाग या हिस्सा होता है। एक कंपनी के कुल स्वामित्व को लाखों करोड़ों टुकड़ों में बाँट दिया जाता है। स्वामित्व का हर एक टुकड़ा एक शेयर होता है। जिसके पास ऐसे जितने ज्यादा टुकड़े, यानी जितने ज्यादा शेयर होंगे, कंपनी में उसकी हिस्सेदारी उतनी ही ज्यादा होगी। लोग इस हिस्सेदारी को खरीद-बेच भी सकते हैं। इसके लिए बाकायदा शेयर बाजार (स्टॉक एक्सचेंज) बने हुए हैं। भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी॰एस॰ई॰) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन॰एस॰ई॰) सबसे प्रमुख शेयर बाजार हैं। शेयर का अर्थ होता है - किसी कंपनी की कुल पूंजी को कई सामान हिस्सों में बांट देने पर जो पूंजी का सबसे छोटा हिस्सा बनता है उस अंश को शेयर कहा जाता है।

शेयर का मतलब होता है - "हिस्सा" किसी कंपनी के स्वामित्व का एक हिस्सा जो की  सबसे छोटा भाग है "एक शेयर होता हैं"। 

शेयर मार्केट कैसे सीखे?


Shares Meaning in Hindi

जब हम किसी कंपनी के एक अंश को खरीदते है तो यह उस कंपनी का एक share ख़रीदा है यह समझा जाता है। और यदि हम किसी कंपनी के 

परिभाषा के तौर पर शेयर का अर्थ होता है, “किसी कंपनी की कुल पूंजी को कई सामान हिस्सों में बांट देने पर जो पूंजी का सबसे छोटा हिस्सा बनता है उस हिस्से को शेयर कहा जाता है।”

शेयर में हिस्से का क्या मतलब हैं?

शेयर के फ़ायदे – Benefits of Shares

अगर आपके पास किसी कंपनी के शेयर है तो आपको शेयर होल्ड करने के कई लाभ प्राप्त होते हैं।


1. लाभांश (Dividend)


अगर किसी कंपनी के शेयर आपके पास है और कंपनी अच्छा मुनाफा कमा रही है तो कंपनी आपको डिविडेंड का भुगतान कर सकती हैं। वैसे शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देना या नहीं देना पूर्णतया कंपनी के मैनजमेंट पर निर्भर करता है। परंतु आप ऐसी कंपनी में निवेश कर रहे हैं जो की  निरंतर रूप से हानि हैं तो शायद आपको उस कंपनी से डिविडेंड नहीं मिलेगा।


2. शेयर वैल्यू ग्रोथ (Share value growth)


यदि आपके द्वारा खरीदे गए शेयर के मूल्य में इजाफा होता है तो आप इसे बेचकर लाभ कमा सकते हैं। यदि कंपनी का बिजनेस अच्छा चल रहा है और कंपनी लगातार ग्रो कर रही है तो धीरे-धीरे कंपनी के स्टॉक प्राइस में भी वृद्धि होगी।


3. राइट शेयर और बोनस शेयर 


कभी-कभी कंपनी द्वारा बोनस शेयर्स और राइट इश्यू लाने पर आपका शेयर्स की संख्या में इजाफ़ा होता हैं।


शेयर के प्रकार (Types of Shares)

शेयर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।

1.  इक्विटी शेयर (Equity Share)

इक्विटी शेयर को साधारण अंशों (ordinary shares) के नाम से भी जाना जाता है। किसी कंपनी के द्वारा जारी किए गए अधिकांश शेयर इक्विटी शेयर ही होते हैं। यह शेयर स्टॉक मार्केट में सक्रिय रूप से सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड होते हैं।

इक्विटी शेयर होल्डर्स को कंपनी की मीटिंग में वोटिंग राइट होता हैं। साथ में इन शेयर होल्डर्स को डिविडेंड प्राप्त करने का अधिकार भी होता हैं। साधारण शेयरधारकों को परेफरेंस शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देने के बाद डिविडेंड भुगतान किया जाता है।


इस प्रकार के शेयर होल्डर को कंपनी के दिवालिया हो जाने की स्थिति में कुछ भी क्लेम करने का अधिकार नहीं होता।


2. प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)

जैसा की इनके नाम से ही पता चल रहा है इन शेयर होल्डर्स को साधारण शेयर होल्डर की अपेक्षा प्राथमिकता दी जाती है। परेफरेंस शेयर होल्डर्स को कंपनी की मीटिंग में वोटिंग राइट प्राप्त नहीं होता हैं।


प्रेफरेंस शेयर धारकों को डिविडेंड देने में प्राथमिकता दी जाती है। परन्तु इनको मिलने वाला लाभांश निश्चित रहता हैं। जब भी कंपनी बंद होती है तो प्रेफरेंस शेयर होल्डर्स को सबसे पहले भुगतान किया जाता है।


प्रेफरेंस शेयर को तीन भागों में बांटा जा सकता हैं –


(i) Cumulative Preference Share


इस प्रकार के शेयर होल्डर्स को कंपनी के नुकसान की स्थिति में डिविडेंड का भुगतान नहीं होने पर डिविडेंड का एरियर प्राप्त करने का अधिकार होता हैं।


(ii) Non-cumulative Preference Share


इस प्रकार के शेयर होल्डर्स को बस कंपनी के लाभ कमाने की स्थिति में ही डिविडेंड प्राप्त करने के का अधिकार होता हैं। इन्हें कोई भी arrear का अधिकार नहीं होता।


(iii) Convertible Preference Share 


इस प्रकार के शेयर होल्डर्स के पास अधिकार होता है कि वे अपने परफेरेंस शेयर्स को इक्विटी शेयर में कन्वर्ट करा सकते हैं।


3. DVR Share 


डीवीआर यानि की Differential voting Right.  DVR शेयर होल्डर्स को इक्विटी शेयर होल्डर्स की अपेक्षा कम वोटिंग राइट होते हैं। वोटिंग विशेषाधिकारों को कम करने के लिए कंपनी डीवीआर शेयर धारकों को अतिरिक्त डिविडेंड देती है। वोटिंग राइट कम होने की वजह से इन शेयर्स की कीमत भी कम होती है।


शेयर कैसे खरीदे? Share Ko Kaise Kharide


How to buy Share? शेयर खरीदने के लिए आपको शेयर बाजार (स्टॉक मार्केट) में निवेश करने की प्रक्रिया को समझना होगा। नीचे चरण-दर-चरण प्रक्रिया दी गई है:


1. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें

शेयर खरीदने और बेचने के लिए डीमैट (Demat) और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है।

यह अकाउंट आप किसी भी प्रमाणित ब्रोकर (जैसे Zerodha, Upstox, Angel One आदि) या आपके बैंक से खोल सकते हैं।

डीमैट अकाउंट में आपके खरीदे गए शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रहते हैं।

2. केवाईसी (KYC) प्रक्रिया पूरी करें

अकाउंट खोलने के लिए अपनी पहचान और पता प्रमाण (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट आदि) जमा करें।

केवाईसी पूरी होने के बाद आपका अकाउंट सक्रिय हो जाएगा।

3. ब्रोकर के माध्यम से निवेश करें

अपने ट्रेडिंग अकाउंट में लॉगिन करें और ब्रोकर के प्लेटफॉर्म (मोबाइल ऐप या वेबसाइट) पर जाएं।

ब्रोकर आपको एनएसई (NSE) और बीएसई (BSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदने का विकल्प देते हैं।

4. मार्केट रिसर्च करें

निवेश से पहले उस कंपनी का अध्ययन करें, जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं।

कंपनी का प्रदर्शन, बैलेंस शीट, बाजार में उसकी स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को देखें।

5. शेयर चुनें और ऑर्डर प्लेस करें

जिस कंपनी के शेयर खरीदने हैं, उसके शेयर का नाम या कोड (टिकर) प्लेटफॉर्म पर सर्च करें।

शेयर की मात्रा (Quantity) और कीमत तय करें।

मार्केट ऑर्डर: मौजूदा बाजार कीमत पर खरीदें।

लिमिट ऑर्डर: एक निश्चित कीमत पर खरीदें।

ऑर्डर की पुष्टि करें।

6. भुगतान करें

अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जुड़े बैंक खाते से भुगतान करें।

भुगतान होते ही आपके डीमैट अकाउंट में शेयर आ जाएंगे।

7. निवेश का ट्रैक रखें

नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें।

बाजार की स्थिति और कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर निर्णय लें।

टिप्स:

शेयर बाजार का ज्ञान बढ़ाएं: शुरुआती निवेशकों को शेयर बाजार की मूल बातें समझनी चाहिए।

लंबे समय का दृष्टिकोण रखें: शेयर बाजार में धैर्य और समझ जरूरी है।

जोखिम का ध्यान रखें: हमेशा वही राशि निवेश करें, जिसे आप जोखिम में डाल सकते हैं।

डायवर्सिफिकेशन करें: अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीदें ताकि जोखिम कम हो।

अगर आप चाहें, तो मैं आपको किसी ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलने की प्रक्रिया और शुरुआती निवेश के लिए सुझाव दे सकता हूं। 😊


प्लेज शेयर क्या हैं (What is Pledge Shares)

"Pledge Shares Meaning in Hindi" - Pledge Share वो शेयर होते हैं जो कंपनी के प्रमोटर द्वारा गिरवी रखे जाते हैं। शेयर्स एक एसेट होती हैं। इसलिए शेयर ऋणदाता द्वारा collateral के रूप में रखे जाते हैं।


प्रमोटर्स अपनी व्यक्तिगत जरूरतों, कंपनी की वर्किंग कैपिटल रिक्वायरमेंट और दूसरे venture के लिए पूंजी की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपने शेयर प्लेज रखते हैं। जिन कंपनियों में प्लेजिंग लगातार बढ़ रही है वे कंपनियां निवेश के लिए अच्छी नहीं मानी जाती हैं।


राइट शेयर क्या होते हैं? (What is Right Share)

Right share वो शेयर होते हैं जो कंपनी अपने मौजूदा निवेशकों को जारी करती है। राइट शेयर मौजूदा शेयर होल्डर्स के स्वामित्व के अधिकारों की रक्षा हेतु जारी किए जाते हैं।


बोनस शेयर क्या होते हैं? (What is Bonus Share)

कई बार ऐसा होता है की कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड के रूप में शेयर जारी करती है। इस प्रकार जारी किये गए शेयर्स को बोनस शेयर कहा जाता है।


स्वेट इक्विटी शेयर क्या होते हैं? (What is Sweat Share)

जब कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों और डायरेक्टर्स को उनके काम के लिए पुरस्कृत करने हेतु शेयर जारी किए जाते हैं तो इन्हें स्वेट इक्विटी शेयर कहा जाता हैं।


शेयर बाजार में इक्विटी शेयर क्या हैं?

कंपनी के साधारण अंश ही इक्विटी होते हैं। इसे स्टॉक,इक्विटी और शेयर के नाम से जाना जाता हैं।


आउटस्टैंडिंग शेयर का क्या अर्थ होता हैं?

आउटस्टैंडिंग शेयर मतलब की कुल शेयर्स जो की वर्तमान में कंपनी के शेयर होल्डर्स के पास हैं।


शेयर कितने प्रकार के होते हैं?

शेयर तीन प्रकार के होते हैं -इक्विटी शेयर, परेफरेंस शेयर और DVR शेयर।


शेयर का हिंदी अर्थ क्या होता है?

हिंदी में शेयर को अंश कहा जाता हैं। ये किसी कंपनी की कुल पूंजी का सबसे छोटा भाग होता हैं।


शेयर बाजार क्या है ?


शेयर को स्टॉक मार्केट में स्टॉक, इक्विटी के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह शेयर, स्टॉक या इक्विटी सभी शब्दों का एक ही अर्थ होता है।


शेयर क्या है – What is Shares Meaning in Hindi?


शेयर का अर्थ


शेयर का इतिहास (Share History in Hindi)

दुनिया भर में शेयर बाजार की स्थापना करने के कई उदाहरण है। चाहे वह 1100 के दशक में फ्रेंच में हो या 1300 के दशक में वेनिस में व्यापारियों द्वारा इटली में शुरुआत करने का प्रयास हुआ।


लेकिन, वास्तव में शेयर बाजार की स्थापना पहली बार एंटवर्प (बेल्जियम) में हुई थी और इसे बेउरजन (Beurzen) कहा गया।


बहरहाल, एंटवर्प शेयर मार्केट में भी कोई स्टॉक सूचीबद्ध नहीं हुए थे, जो आज के शेयर बाजार की नींव है।


दुनिया में पहली ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना के पीछे एक दिलचस्प कहानी है।


शेयर के प्रकार Type of Share 

शेयर के प्रकार के बारे में बात करें, उससे पहले शेयर को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया जो आगे शेयर के प्रकार को परिभाषित करते है। 

सबसे पहले, शेयर को स्वामित्व (Ownership) के प्रकार के आधार पर बांटा गया हैं:

  • कॉमन शेयर
  • प्रेफरेंस शेयर (Preference Share Meaning in Hindi)
  • क्युमुलेटिव प्रेफरेंस शेयर
  • हाइब्रिड शेयर
  • एम्बेडेड-डेरिवेटिव ऑप्शन कंटेनिंग शेयर


इसके बाद, शेयर को उनके संबंधित मार्केट कैप के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, अर्थात:

  • लार्ज-कैप स्टॉक
  • मिड-कैप स्टॉक
  • स्मॉल कैप स्टॉक


शेयर को प्रॉफिट-शेयरिंग के आधार पर भी अलग किया गया है:

  • इनकम स्टॉक 
  • ग्रोथ स्टॉक 
  • वैल्यू स्टॉक 
  • डिविडेंड स्टॉक


स्टॉक को उनके इन्ट्रिंसिक वैल्यू के संदर्भ में भी परिभाषित किया जा सकता है:

  • अंडरवैल्यूड स्टॉक
  • ओवरवैल्यूड स्टॉक
  • पेनी स्टॉक

इंडस्ट्री प्राइस ट्रेंड के अनुसार भी स्टॉक को परिभाषित करते हैं:

  • साइक्लिक स्टॉक
  • डिफेंसिव स्टॉक


अंत में, शेयर वर्गीकरण का एक और रूप मूल्य में उतार-चढ़ाव पर आधारित है:

ब्लू-चिप स्टॉक

आपने देखा शेयर को विभिन्न प्रकार में बांटा गया हैं, जिसके आधार पर शेयरों का विश्लेषण किया जा सकता है। 


Example of Shares Meaning in Hindi

आइये शेयर के कॉन्सेप्ट को एक उदाहरण से समझते हैं।

मान लीजिये, आप “फज़ल म्युज़िक” नाम की एक कंपनी के मालिक हैं। 


आप कंपनी के एकमात्र मालिक हैं जो आपके राज्य में गायकों के म्यूजिक एल्बम रिकॉर्ड करते हैं। 


अब आप अपने बिज़नेस को “बॉलीवुड” में विस्तार करना चाहते हैं और इसके लिए ₹10 करोड़ पूंजी की आवश्यकता है। लेकिन,आपके पास इस प्लान को पूरा करने के लिए कोई पैसा नहीं हैं। अब, आप क्या कर सकते हैं?आप अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए एक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म को हायर करते हैं। 


बैंकिंग फर्म आपके कंपनी के पूरे फाइनेंशियल स्टेटमेंट की समीक्षा करती है। एनालिसिस करने के बाद, आपके कंपनी की कुल कीमत ₹50 करोड़ निकल कर आती हैं।


फर्म आपके इस टोटल वैल्यूएशन को कुल ₹50 लाख शेयरों में बांटने में भी सहायता करती हैं। जहाँ प्रत्येक शेयर का भाव ₹100 रुपये होता है। 


अब आप मार्केट में खबर फैलाते हैं कि आप अपनी कंपनी की 20% हिस्सेदारी यानी ₹10 लाख शेयर बेचने जा रहे हैं। 


मान लीजिये कुल 100 निवेशक आपकी कंपनी में निवेश करने के लिए तैयार होते हैं। और प्रत्येक निवेशक आपकी कंपनी के 10,000 शेयर खरीदते हैं। 


अब सभी शेयरहोल्डर्स को आपके “फज़ल म्यूजिक” कंपनी में 0.2% की हिस्सेदारी मिलती है।


चलिए आगे बढ़ते हैं, मान लीजिए कि आपकी कंपनी चंडीगढ़ शहर में बहुत कामयाब रही और 2 साल के अंदर ही कंपनी का वैल्यूएशन ₹200 करोड़ तक पहुंच जाता है। 

इसके बाद सभी निवेशकों का ₹10 लाख का शुरूआती निवेश ₹40 लाख तक पहुंच जाता है।

यही शेयर बाजार का पूरा खेल है। इसी कॉन्सेप्ट पर बाजार काम करता है। इसी तरह शेयर वास्तव में कंपनी के परफॉरमेंस और इन्वेस्टमेंट को समान रूप से प्रभावित करते हैं।


How to Invest in Share Market in Hindi

स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदने या बेचने के कुछ कारण हैं:

नियमित समय पर डिविडेंड लेने के लिए।

शेयरों के बढ़ते मूल्य से लाभ कमाने के लिए।

ऊपर बताए दोनों विकल्प से कमाई कर सकते हैं।


आपको शेयर बाजार मे शेयर खरीदने के नियम के बारे में पता होना चाहिए।

इसके साथ ही कुछ ऐसे कारण भी हैं जब एक कंपनी अपने शेयर बेचती है:

बिज़नेस बढ़ाने के उद्देश्य के लिए।

कंपनी के मौजूदा शेयरधारक कभी भी शेयर बेच कर कंपनी से निकल सकते हैं।

ब्रांड वैल्यू बढ़ाने और ग्राहक का विश्वास प्राप्त करने के लिए।

कंपनी की मार्केट वैल्यूएशन प्राप्त करने के लिए।

अपने प्रतिस्पर्धा से लाभ प्राप्त करने के लिए।

यदि आप निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो सबसे पहले आपके दिमाग में शेयर मार्केट को कैसे समझें जैसा प्रश्न होना चाहिए। इसके बाद ही आप शेयर बाजार में निवेश शुरू करें। 


शेयर खरीदने के लिए एक ट्रेडर/निवेशक को डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, डीमैट अकाउंट को एक रजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर द्वारा खोला है।


अभी डीमैट खाता खुलवाने के लिये नीचे दिए गए फॉर्म को फॉर्म भर सकते हैं। 


Name

 Email *

 Message *



शेयर वैल्यूएशन करने के लिए मुख्य रूप से 3 तरीके हैं।


लागत दृष्टिकोण (Cost Approach) 

कॉस्ट अप्रोच में कंपनी के Tangible Assets यानी भौतिक संपत्ति को ध्यान में रखा जाता है। 


भौतिक संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसे छुआ जा सके जैसे इक्विपमेंट, बिल्डिंग वाहन इत्यादि।


इस अप्रोच में भी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट/रियल एस्टेट एसेट्स, टूल्स, मशीन आदि शामिल किया जाता है। 


कंपनी की वैल्यूएशन ऐसी सभी एसेट के कुल पूंजी के आधार पर किया जाता है।


कंपनी की नेट लायबिलिटी को नेट एसेट से डिवाइड किया जाता है और फिर नेट कैपिटल वैल्यू निकाला जाता है। 


कॉस्ट अप्रोच के द्वारा शेयर की वैल्यू को पता करने के लिए नेट कैपिटल वैल्यू को टोटल आउटस्टैंडिंग शेयर्स (Outstanding Shares) से डिवाइड किया जाता है।


हालांकि, इस अप्रोच के साथ भी शेयर का वैल्यू निकाला जा सकता है, लेकिन इस अप्रोच में कुछ खामियां भी है।


कॉस्ट अप्रोच, कंपनी से जुड़ी किसी भी Intangible Assets पर विचार नहीं करता है। ये एसेट्स भौतिक रूप में नहीं होता है जैसे कंपनी का Trademark, Copyrights, Patent।


मार्केट एप्रोच

कुछ बिज़नेस शेयर का वैल्यूएशन करने के लिए Market Approach (बाजार दृष्टिकोण) का विकल्प चुनते हैं।


यह अन्य एप्रोच की तुलना में थोड़ा मुश्किल है और एक विशेष वैल्यू तक पहुंचने के लिए अलग-अलग पैरामीटर की आवश्यकता होती है। 


स्टॉक की कीमत को EPS या Earning per Share से डिवाइड की जाती है जिससे P/E Ratio मिलता है।


जितना अधिक P/E Ratio होगा, कंपनी का वैल्यूएशन उतना ही ज्यादा होगा। 


यह इंडस्ट्री के प्रकार पर भी निर्भर करता है, क्योंकि P/E Ratio अलग-अलग बिज़नेस डोमेन से आने वाली कंपनियों के लिए अलग होता है।


3 .इनकम एप्रोच 


तीसरा, जब शेयर वैल्यूएशन की गणना की बात आती है तो इनकम एप्रोच यानी इनकम एप्रोच सबसे आसान तरीके से होता है। 


इस मेथड में, सबसे पहले अलग-अलग रेवेन्यू स्ट्रीम से कंपनी की कुल संभावित इनकम को जोड़ा जाता है। 


अब, यह Cash Flow इसी तरह रह सकता है या कम भी हो सकता है।


इसके आधार पर, जो आंकड़े मिलते हैं वह कंपनी के Outstanding Shares की संख्या से डिवाइड होता है और शेयर के मूल्य की गणना की जाती है। 


शेयर और डिविडेंड

जब आप किसी कंपनी के “X” नंबर शेयर के मालिक होते हैं। तो ऐसी संभावनाएं होती हैं कि कंपनी प्रति शेयर के आधार पर डिविडेंड की एक निश्चित राशि का भुगतान करने का निर्णय ले सकती है।


डिविडेंड वास्तव में होता क्या है?

यह एक Monetary Amount है जो एक कंपनी अपने निवेशकों को बनाए रखने के लिए Monthly, Quarterly, Half Yearly या Yearly आधार पर अपने निवेशकों को भुगतान करने का फैसला करती है।


ये डिविडेंड राशि कंपनी के मुनाफे से ली जाती है और शेयरधारकों के बीच समान रूप से विभाजित की जाती है। कंपनी Monetary Amount के रूप में Dividend देने या निवेशकों को अतिरिक्त शेयर आवंटित करने का निर्णय ले सकती है।


हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि निवेशकों के साथ डिविडेंड साझा करने वाली कंपनी उन कंपनियों से बेहतर है जो डिविडेंड नहीं देती है और कंपनी के आगे के विकास में इसे वापस निवेश कर रही है।


शेयर और डिबेंचर

जैसा कि ऊपर बताया गया है, शेयर किसी कंपनी में स्वामित्व/हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए आपके द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि है। 

यहां रिटर्न शेयर की बढ़ती कीमत और डिविडेंड (वैकल्पिक) में वृद्धि के रूप में मिलता है।


हालांकि, डिबेंचर (Debentures) एक Debt Instrument है जहां आप एक कंपनी को ऋण/लोन के रूप में भुगतान करते हैं और आपको उस प्रिंसिपल अमाउंट पर इंटरेस्ट अमाउंट मिलती है जिसे आपने भुगतान किया था। 


इस प्रारूप में, आप कंपनी के लेनदारों में से एक बन जाते हैं।


स्टॉक स्प्लिट

जब एक सूचीबद्ध कंपनी द्वारा स्टॉक स्प्लिट होता है, तो जारी किए गए शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और स्टॉक का संबंधित फेस वैल्यू घट जाता है।


उदाहरण के लिए, यदि स्टॉक ABC का फेस वैल्यू ₹10 है और बकाया शेयरों की संख्या 1,00,000 है, तो 2: 1 के स्टॉक स्प्लिट के साथ, आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या बढ़कर 2,00,000 हो जाएगी और स्टॉक का फेस वैल्यू घट कर ₹5 हो जाएगा।


हालांकि, दोनों मामलों में, शेयर का मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन समान रहता है यानी ₹10,00,000।


स्टॉक स्प्लिट शुरू करने का सामान्य कारण किसी कंपनी के बाजार शेयर मूल्य में वृद्धि करना है।


स्टॉक स्प्लिट का उदहारण लेख को पढ़कर आप स्टॉक स्प्लिट के मतलब को और भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।


शेयरों को गिरवी रखना निवेशक के साथ-साथ लिस्टेड कंपनी के प्रमोटर द्वारा भी की जा सकती है।


एक निवेशक जब डीमैट खाते से अपने शेयरों को गिरवी रखता है, तो व्यक्ति को विशिष्ट इंटरेस्ट रेट पर ब्रोकर से मार्जिन मिलता है।


यदि निवेशक क्लाइंट राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो ब्रोकर मार्जिन को रिकवर करने के लिए डीमैट खाते से गिरवी शेयरों को बेच सकता है।


मार्जिन कॉल

एक प्रोमोटर जब कंपनी में रखे गए शेयरों के रूप में उसकी / उसके गिरवी रखता है, तो वह व्यवसाय या व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए बैंकों या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त कर सकता है। 


यदि प्रमोटर ऋण का भुगतान करने में विफल रहता है, तो बैंक ऋण की वसूली के लिए खुले बाजार में गिरवी रखे गए शेयरों को बेच सकता है।


इस प्रकार, शेयरों को गिरवी रखना एक जोखिम भरी अवधारणा के रूप में देखा जाता है और आदर्श रूप से इसका उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब आपके पास उचित जोखिम क्षमता हो।


जब इस प्रकार के शेयर जारी किए जाते हैं, तो निवेशकों को कम या कोई वोटिंग अधिकार नहीं मिलता है। इस तरह के शेयरों का फायदा यह है कि निवेशक बेहतर डिविडेंड की उम्मीद कर सकता है।


इसी समय, ऐसे शेयरों को जारी करने वाले व्यवसाय के प्रमोटर को अपने वोटिंग अधिकारों में कोई भी उम्मीद नहीं करता है और किसी भी संभावित अधिग्रहण की संभावना को दूर रखा जाता है।

Shares Means in Hindi उम्मीद है आपको Shares Meaning in Hindi का यह पोस्ट पसंद आया होगा। इस पोस्ट में हमने शेयर का मतलब, उदाहरण, प्रकार सहित सभी विषयों के बारे में चर्चा की है। 

अगर आपको Shares Meaning in Hindi से जुड़े कोई अन्य सवाल है तो आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमें आपके सवालों के जवाब देने में खुशी होगी। 

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