कलयुग में कौन सा मंत्र सर्वश्रेष्ठ है?
कलयुग में कौन सा मंत्र सर्वश्रेष्ठ है?
मित्रो, हम सब कोयह पता है कि यह समय Technology का है। इतनी तरक्की करने के बाद भी अभी भी संतुष्ट नहीं है। फिर भी एक भय है जिससे उभर पाने के उपाए ढूढ़ रहे है। कुछ समस्याओ का निदान नहीं मिल पा रहा है। हर साल कुछ न कुछ नए वायरस आ जाते है जिनके आगे किसी की भी नहीं चलती। इस कलयुग में ऐसा कोई मंत्र है क्या जो हमें सब से बचा सके। दोस्तों यह हम इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे। क्या ऐसा मंत्र है - कलयुग में कौन सा मंत्र सर्वश्रेष्ठ है? सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?
कलियुग में, मंत्र , तथा उसकी किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेना, यहाँ तक कि कुछ लोगो को मंत्र पर विश्वाश नहीं , और जिनको है वह सही ज्ञान नहीं मिल पाने से कोई जानकारी नहीं है ऐसे में दोनों ही बड़े कठिन है, पर , इस लिए इस उलझन को सबके प्रिय नारद जी ने, पहले ही सुलझा लिया था। वे त्रिकालदर्शी हैं । उन्हें पता था कि आगे समय , कठिन आएगा ।नारद जी की बात देवता और दानव , दोनों मानते हैं ।
नारद जी ने, एक ऐसा मंत्र बता दिया है, जिसमें , ना ही दीक्षा की ज़रूरत है, न ही गुरु की । इस मन्त्र की सहायता से आपको मन की शांति मिल जाएगी। कलिसंतरण -उपनिषद् में, नारद जी ने, यही मंत्र बताया है । इस मंत्र को हर कोई जप सकता है, बिना माला के बोल भी सकता है ।
और तो और , इसे कहीं भी , किसी भी समय आप गा भी सकते हैं! नारद जी कहते है कि —
"हरेर्नाम हरेर्नाम हरे्रनामैव केवलं , कलौनात्सेव नात्सेव नात्सेव गति: अन्यथा"।
इन वाक्यों को जो समझ लेगा वह संसार रूपी दुखो से निजात पा सकता है।
यानि, कलियुग में, हरि नाम से ही, केवल हरिनाम से ही गति मिलती है, गति के यहॉ दोनों अर्थ हैं, मुक्ति भी , रुक हुए काम में गतिशीलता।
कलयुग में कौन सा मंत्र सर्वश्रेष्ठ है?
मंत्र देखिए—
हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
यही ३२ अक्षर का महामंत्र है। इसे हर श्वास के साथ बोलें। यह सब काम कर देगा।
इस भयावह समय में किस मंत्र का जप करना चाहिए?
इस भयाभय समय में जब भी व्यक्ति को समय मिले हर किसी को इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र को जप से ज्यादा जरुरी है अपने आप को हम उस स्तर पर ले जाये जहा पर इसका विशेष लाभ हो , अपनी दैनिक जीवन में बदलाव करके अपने जीवन को संयम , परोपकर्ता , सरल बनाना होगा तभी इन मंत्रो के गूढ़ राहिशियो को प्राप्त कर सकते है।
दुनिया में सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?
इसके आलावा भी अलग अलग लोग के अनुसार कुछ मंत्र है।
कलयुग में मुख्य दो देवता कहा गए है जो तुरंत प्रसन्न होते है कहीं जगह तीन भी मैने पढ़ा है, मुख्य दो शक्ति विनायक अब शक्ति मतलब माता - जिनको भी आप मानते हो उनका विनायक मतलब - गणेश जी और तीसरे : हनुमान जी
अब इन तीनों के मंत्र आपको कहीं से भी मिल जायेगे। अब और भी कुछ देवी देवता है । कुलदेवी/ कुलदेवता इष्ट - ये किसी ज्योतिषी की मदद से या गुरु से पता चलेगा ग्राम देवता - जैसे महालक्ष्मी, मुंबा देवी और सिद्धिविनायक मुंबई के ग्राम देवता है, जिनको उस जगह का रखवाला माना जाता है।
मंत्र क्या होते है? मंत्र का अर्थ क्या है?
मंत्र का शाब्दिक अर्थ होता है स्तुति से युक्त प्रार्थना। किसी भी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दिए गए विचार को भी मंत्र कहा जाता है। मंत्र शब्द से ही मंत्रणा या मंत्री भी उद्भूत है। और यदि किसी भी समस्या के समाधान हेतु खोजे गए मार्ग को भी मंत्र की संज्ञा दी जाती है। किंतु सामान्यतः हमारे यहां देवी देवताओं की गई स्तुति या प्रार्थना को ही मंत्र कहा जाता है वेद की ॠचाएं मंत्र ही तो हैं। हमारा देश भारत एक धर्म प्रधान तथा धर्म निरपेक्ष देश है साथ ही यहां विश्व में प्रचलित अधिकांश धर्म के अनुयायी रहते हैं किंतु इनमें सनातन धर्म को मानने वाले बहु संख्य हैं दूसरे स्थान पर इस्लाम मतावलंबी हैं इस्लाम मताबलंबियों के लिए कुरान शरीफ की आयतें ही मंत्र है तो सिखों के लिए गुरुवाणी जो उनके प्रसिद्ध धर्म ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहब में दिए गए हैं इसी तरह जैनों के लिए जिनवाणी ही उनका मंत्र है। इन मंत्रो से मन को संयम और सरल बना सकते है , जो कि आपके जीवन को बदल कर रख देंगे।
अपने देश में लोग कण-कण में भगवान को मानते हैं। सनातन धर्म में तो भगवान् के अतिरिक्त अनेक देवी देवता हैं। सबों के उपासक भी अलग-अलग हैं कोई वैष्णव है तो कोई शैव कोई शाक्त है तो कोई निराकार ब्रह्म का ही उपासक है। यहां तक कि अपने देश में लोग भक्तों की भी पूजा एवं आराधना करते हैं। जहां इतनी सारी मान्यताएं हो वहां भला मंत्रों की कौन कमी है सनातन धर्म के ग्रंथ तो मंत्रों से भरे पड़े हैं सभी देवी देवताओं के लिए अलग-अलग मंत्र हैं शास्त्रों के अलावे हमारे यहां ऋषि मनियों ने भी मंत्रों की रचना की है। शंकराचार्यों एवं अन्य भगवद् भक्तों द्वारा भी मंत्र बनाए गए हैं। सनातन धर्म इतना अधिक उदार है कि सभी अपने-अपने उपास्य की उपासना के लिए स्वतंत्र हैं। स्वाभाविक ही है कि जो जिस देवी देवता का उपासक होगा वह उन्हीं को प्रसन्न करने वाला मंत्र जपेगा या प्रार्थना करेगा। यह तो हुई विविधता की बात अब जानते हैं कि वर्तमान कलयुग का मंत्र कौन सा सही है।यह सत्य है कि समयानुसार मंत्र एवं पूजा विधियां भी बदलती रहती हैं सतयुग में जप तप, त्रेता युग में यज्ञ हवन आदि तथा द्वापर में पूजा अर्चना से जो फल प्राप्त होता था वही पुण्य फल कलयुग में हरि नाम संकीर्तन से प्राप्त होता है। अपनी-अपनी आस्था के अनुसार आज भी कुछ लोग महामृत्युंजय का जप करते हैं तो कुछ शक्ति की अधिष्ठात्री दुर्गा की।
कलयुग में महा शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?
बृहन्नारदीय पुराण के अनुसार हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम्। नास्त्यैव नास्त्यैव नास्त्यैव गतिः अन्यथा।।
इसी बात का समर्थन श्री चैतन्य महाप्रभु , श्री गौरांग महाप्रभु , एवं पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज तथा उनके परम प्रिय शिष्य स्वामि श्री मुकुंदानंद जी महाराज ने भी किया है। श्री कृपालु जी महाराज ने तो स्पष्ट रूप से कहा है की हरि नाम की ताकत हरि से तनिक भी कम नहीं है बशर्ते नाम मन से लिया जाए। हरि नाम की महिमा इतनी अधिक है कि एक व्यक्ति तो गुरु की आज्ञा से राम शब्द का उल्टा यानी मरा मरा जप कर महान संत महर्षि वाल्मीकि बन गया जिन्होंने बाद में रामायण लिख डाली। श्री कृपालु जी महाराज ने नाम की महिमा का बखान करते हुए कहा है कि
नाम के अधीन तू है गोविंद राधे।
तेरा नाम लेने वाला तुझको रुला दे।।
किंतु आगे उन्होंने यह भी कहा है कि नाम का सुमिरन या स्मरण मन से होना चाहिए अर्थात् जो भी मंत्र बोला जाए वह मन से होना चाहिए। कलयुग में हरि नाम की प्रधानता इसलिए भी दी गई है की इस समय संस्कृत पढ़ने और जानने वाले बहुत कम लोग हैं और सारे मंत्र संस्कृत में हैं। मंत्रों के एक शब्द के एक अक्षर के एक स्वर की भी अगर गलती हो जाती है तो उसका अनर्थ हो जाता है और परिणाम बहुत बुरे होने लगते हैं। इसलिए इस समय हरि नाम कीर्तन ही सबसे बड़ा मंत्र है। किसी भी आराध्य का नाम लेने से पूर्व उनका स्मरण करना अत्यंत आवश्यक होता है तभी उसका फल सार्थक हो सकेगा अन्यथा नहीं तभी तो श्री कृपालु जी महाराज ने कहा है कि
नामी को बुलाओ पूर्व गोविंद राधे।
नाम गाने से पूर्व नाम में बिठा दे।।
वाल्मीकि को देखो गोविंद राधे।
मरा मरा कहीं राम ब्रह्म को बुला दे।।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हरि का नाम चाहे जिस किसी भी रूप में लिया जाए सर्वथा मंगलकारी ही होता है।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे। कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।। कोही आज मूल मंत्र के रूप में अत्यधिक मान्यता है। इसके अतिरिक्त भगवान् ने हमें इतनी छूट दे रखी है कि हम उनका नाम चाहे जिस भी रूप में लें वे अनंतानंत जन्मों से अपनी बांह फैलाए वात्सल्यमयी दृष्टि से हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं और हम पर करुणा दिखाना चाह रहे हैं क्योंकि वे अकारण करुण वरूणालय होते हैं।
कलियुग में सबसे श्रेष्ठ मंत्र अपने इष्टदेव का नामजप है , संत तुलसीदास ने भी रामचरितमानस में है कि “ कलियुग केवल नाम अधारा । सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा ।। “
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने भी विराटरूप का वर्णन करते समय श्रीमदभगवद्गीता में यही कहा कि मंत्रो में वह जपयग्य है ।
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