Insurance क्या है और Insurance क्यों करना चाहिए
क्या आप जानते है कि हमारे जीवन में इंश्योरेंस का क्या महत्व है , नहीं जानते है तो हम आपको बताना चाहेंगे हमें अपने और अपने परिवार के लिए जरूर कराना चाहिए , इसके आपको हमारे इस पेज पर बने रहे , क्यूकी हम आपको बताने बाले है कि Insurance क्या है और Insurance क्यों करना चाहिए
Insurance का मतलब क्या है हिंदी में (Meaning of Insurance in Hindi)
Insurance का हिंदी में मतलब होता है "बीमा"
'बीमा' शब्द फारसी से आया है जिसका भावार्थ है - 'जिम्मेदारी लेना'।
'बीमा' शब्द फारसी से आया है जिसका भावार्थ है - 'जिम्मेदारी लेना'।
Insurance क्या है ( बिमा क्या है )
बीमा Insurance उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा कुछ शुल्क (जिसे प्रीमियम या क़िस्त कहते हैं) देकर हानि का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकर पर डाला जाता है उसे 'बीमाकृत' कहते हैं। बीमाकार आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के जोखिम या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने में वह समर्थ होती है।
यह क़िस्त मासिक , वार्षिक , जैसा जाहे बेसा रख कस्ते है.
इसी तरह अगर बीमा कंपनी ने किसी कार, घर या स्मार्टफोन का बीमा किया है तो उस चीज के टूटने, फूटने, खोने या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में बीमा कंपनी उसके मालिक को पहले से तय शर्त के हिसाब से मुआवजा देती है
एक प्रक्रिया है जो पूर्व निर्धारित विधि से संचालित की जाती है। पहले बीमित अपनी जोखिम का अन्तरण बीमाकर्ता को निश्चित प्रीमियम के बदले करता है तत्पश्चात् बीमा कर्तव्यता द्वारा उस जोखिम के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान की जाती है।
सरल शब्दो में कहे तो हम एक छोटा सा प्रीमियम क़िस्त देकर सालभर के लिए उस कंडीशन और स्थिति को फिक्स कर देते है जैसे ही उसमे हमें कुछ हानि होती है हम बिमा के टर्म-कंडीशन के अनुसार क्लेम कर सकते है बिमा करता कंपनी आपके इस नुकसान को वहन करती है।
बीमा वास्तव में बीमाकर्ता और बीमाकृत के बीच अनुबंध है जिसमें बीमाकर्ता बीमाकृत से एक निश्चित रकम क़िस्त के बदले किसी निश्चित घटना के घटित होने (जैसे कि एक निश्चित आयु की समाप्ति या मृत्यु की स्थिति में) पर एक निश्चित रकम देता है या फिर बीमाकृत की जोखिम से होने वाले वास्तविक हानि की क्षतिपूर्ति करता है।
बीमा के आधार के बारे में सोचने पर पता चलता है कि बीमा एक तरह का सहयोग है जिसमें सभी बीमाकृत लोग, जो जोखिम का शिकार हो सकते हैं, प्रीमियम अदा करते हैं जबकि उनमें से सिर्फ कुछ (बहुत कम) को ही, जो वास्तव में नुकसान उठाते हैं, मुआवजा दिया जाता है।
इन्शुरन्स से बिमा कंपनी को क्या फायदा होता है
वास्तव में जोखिम की संभावना वालों की संख्या अधिक होती है लेकिन किसी निश्चित अवधि में उनमें से केवल कुछ को ही नुकसान होता है। बीमाकर्ता (कंपनी) बीमाकृत पक्षों के नुकसान को शेष बीमाकृत पक्षों में बांटने का काम करती है इसे हम सरल शब्दो में समझते है
एक बिमा कंपनी एक साल बिमा को चलाने के लिए 3000 रूपये लेती है और ऐसे लोगो की संख्या 100 है जिन्होंने बिमा करा रखा है यह बिना कार को एक साल तक होने वाले नुकसान को पूरा करेगा बो भी एक सीमा निर्धारित की गयी कार में कुछ खरीबी होने पर बिमा करता कंपनी 5000 रूपये देगी अभी बिमा करता कंपनी के पास कुल 300000 रूपये जमा हो गए साल के शुरुवात में इस रुपयों पर बिमा कंपनी ब्याज भी कमाएगी।
मान के चलते है इस वर्ष केवल 4 कारे ख़राब हुयी और बिमा करता से रूपये दिए कारो को ठीक करने के लिए
तो कुल खर्चा 4 *50000 = 200000 रूपये हुए फिर भी बिमा करता कंपनी को 100000 रुपये का फायदा हुआ
अब जिन लोगो की कारे ख़राब नहीं हुई उनके 3000 रुपये वापस नहीं मिलेंगे। आप समझ गए होंगे कि बिमा कंपनी किस तरह काम करती है
बीमा की विशेषताएँ (बिमा करते समय किन किन चीजों का ध्यान रखे ) (Features of Insurance)
1. जोखिमो से सुरक्षा - बीमा जोखिमों से का सशक्त उपाय है। जीवन में व्याप्त सभी अनिश्चितताओं से व्यक्ति को चिन्तामुक्त करता है। ये जोखिमें जीवन, स्वास्थ्य, अधिकारों तथा वित्तीय साधनों, सम्पत्तियों से सम्बन्धित हो सकती है। इन सभी जोखिमों से सुरक्षा का एक उपाय बीमा है।
2. जोखिमों को फैलाने का तरीका - बीमा में सहकारिता की भावना के आधार पर एक सब के लिए व सब एक के लिए कार्य किया जाता है। समान प्रकार की जोखिमों से घिरे व्यक्तियों को एकत्रित कर एक कोष का निर्माण किया जाता है ताकि एक व्यक्ति की जोखिम समस्त सदस्यों में बँट जाये व किसी एक सदस्य को जोखिम उत्पन्न होने पर उस कोष से उस सदस्य को भुगतान कर दिया जाता है।
3. बीमा इन्शुरन्स एक अनुबन्ध - बीमा में वैधानिकता का गुण होने से यह एक वै ध अनुबन्ध है। इसमें बीमित द्वारा बीमाकर्ता को प्रस्ताव दिया जाता है व बीमाकर्ता द्वारा स्वीकृति दे ने पर निश्चित प्रतिफल (प्रीमियम) के बदले दोनों के मध्य एक वैध अनुबन्ध निर्मित होता है। जिसमें एक निश्चित घटना के घटित होने पर बीमाकर्ता उसकी हानि की पूर्ति करने का वचन दे ता है।
4 . हानियों' जोखिमों को निश्चित करना - बीमा में जोखिमों को समाप्त नहीं किया जा सकता है , किन्तु जोखिमों की अनिश्चितता को कम व निश्चित अवश्य किया जाता है। बीमित द्वारा बीमा कम्पनी को जोखिमों का अन्तरण किया जाता है व एक निश्चित प्रतिफल / प्रीमियम से उस जोखिम का मू ल्य निश्चित कर दिया जाता है। अर्थात् निश्चित प्रीमियम के बदले अनिश्चित हानियों को बीमा कम्पनी द्वारा मिलने वाली बीमा राशि के रूप में निर्धारित कर दिया जाता है। यही राशि बीमा दावा maturity राशि कहलाती है।
5. घटना के घटित होने पर ही भुगतान - बीमा में घटना के घटित होने पर ही भुगतान किया जाता है। जीवन बीमा में घटना का घटित होना निश्चित है , जैसे - व्यक्ति की मृत्यु होना , किसी विशेष बीमारी से ग्रसित होना, बीमा अवधि का पूर्ण हो जाना तो ऐसी स्थिति में बीमित को भुगतान होता ही है। परन्तु सामान्य बीमों में घटना के घटित होने पर ही भुगतान होगा अन्यथा बीमित भुगतान हेतु उत्तरदायी नहीं माना जायेगा।
6. जोखिम का मूल्यांकन व निर्धारण - बीमा में जोखिम का मूल्यांकन बीमा अनुबन्ध के पूर्व ही कर लिया जाता है। जोखिम की राशि व जोखिम के उत्पन्न होने की सम्भावना के आधार पर प्रीमियम का पूर्व निर्धारण कर लिया जाता है। इस निश्चित प्रतिफल / प्रीमियम के बदले निश्चित जोखिम उत्पन्न होने पर निश्चित बीमित राशि का भुगतान किया जाता है।
7. सामाजिक समस्याओं के निवारण का उपाय - समाज में व्याप्त अनेक सामाजिक समस्याओं का निवारण बीमा के द्वारा किया जाता है क्योंकि बीमा से समाज की अनिश्चितताओं को निश्चिताओं में व जोखिमों को कम किया जाता है।
8. भुगतान का आधार - जीवन बीमा में विनियोग तत्व निहित होता है अत: पक्षकार की मृत्यु होने अथवा अवधि पूर्ण होने पर निश्चित राशि का भुगतान बीमित को कर दिया जाता है। परन्तु अन्य बीमा में वास्तविक क्षति के बराबर ही भुगतान किया जायेगा। यह क्षति अनुबन्धानुसार बीमित कारणों से जोखिम उत्पन्न होने पर व बीमित राशि की सीमा में ही भुगतान किया जायेगा उससे अधिक राशि का भुगतान नहीं।
9. वैध सम्पत्तियों / कार्यों का ही बीमा - बीमा केवल वैध सम्पत्तियों का किया जा सकता है। चोरी, डकै ती तस्करी आदि के सामान का बीमा नही करवाया जा सकता है।
10. बीमितों की बड़ी संख्या का होना - एक ही प्रकार की जोखिम से घिरे व्यक्तियों का जितना बड़ा समूह होगा उतना ही बीमितों को कम प्रीमियम के बदले सुरक्षा प्राप्त होगी।
11. व्यापक क्षेत्र - बीमा का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत हो गया है। पहले केवल जीवन बीमा, समुद्री बीमा व अग्नि बीमा का ही बीमा होता था पर अब परम्परागत जोखिमों के साथ गैर परम्परागत जोखिमों का भी बीमा किया जाता है। अब विविध बीमा का क्षेत्र बहुत व्यापक हो गया है। इसमे चोरी बीमा दुर्घटना बीमा, पशुधन बीमा, फसल बीमा आदि अनेक प्रकार बीमों को सम्मिलित किया गया किया गया है।
Insurance Kyu Karna Chahiye ( बिमा क्यों करना चाहिए )
(Importance of Insurance)
बीमा की आवश्यकता (Necessary of Insurance) हमारे जीवन में हो रही घटनाओ पर हमारा कुछ नियंत्रण नहीं होता है। ये घटनाये बहुत ही दुःख और दर्द भरी हो सकती है इन घटनाओ से हम मानसिक और आर्थिक रूप से टूट जाते है। एक पल में लोगो की सालो की मेहनत पर पानी फिर जाता है। इन सब कारणों से बिमा की आवश्कता हमें पड़ती है।
हमें अपने जीवन में आने वाले समय के लिए सुरक्षा कबच तैयार करते है।
व्यक्तियों का जीवन अनेक प्रकार की अनिश्चितताओं एवं जोखिमों से घिरा हुआ है। उसे कुछ सम्पत्ति से सम्बन्धित जोखिमें है तो कभी जीवन को जोखिम है अत: वह इन जोखिमों के प्रति कै से सुरक्षा प्राप्त करे इसी विचार ने बीमा को एक आवश्यकता बना दिया है। वर्तमान औद्योगिक विकास का आधार ही प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से यदि बीमा को कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। मनुष्य जीवन को तनाव मुक्त करने हेतु बीमा एक महती आवश्यकता बन गया है। निम्न बिन्दुओं के आधार पर बीमा की आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है-
Insurance Kyu Karna Chahiye
1. जोखिमों के विरूद्ध सुरक्षा हेतु -सम्पत्तियों का इसलिए बीमा किया जाता है कि उनके नष्ट होने की सम्भावना निरन्तर बनी रहती है या आकस्मिक घटना के घटित होने से अपने अपेक्षित जीवनकाल से पहले ही वे निष्क्रिय हो सकती है।
2. संभावित जोखिमों से सुरक्षा प्राप्ति हेतु -बीमाकृत विषयवस्तु को क्षति हो भी सकती है और नहीं भी, भू कम्प आ भी सकता है , और नहीं भी, भू कम्प आये तो हो सकता है सम्पत्ति को क्षति पहुचे अथवा नहीं। मनुष्य की मौत होना निश्चित है लेकिन मृत्यु कब होगी समय अनिश्चित है , अत: इस अनिश्चितता या संभावित जोखिमों से सुरक्षा प्राप्ति हेतु बीमा आवश्यकता बन गया है।
3. जोखिमों के प्रभाव को कम करने हेतु - बीमा बीमाकृत विषयवस्तु को संरक्षण प्रदान नही करता है , खतरे के कारण पहुचाने वाली हानि को भी नही रोकता है खतरे को घटित होने से टाला भी नही जा सकता है। परन्तु कभी-कभी बेहतर सुरक्षातथा क्षतिनियन्त्रक उपायों द्वारा खतरे को टाला या तीव्रता को कम किया जा सकता है जिससे उस विषयवस्तु पर निर्भर व्यक्तियों के जीवन व सम्पत्ति पर खतरे के प्रभाव को कम अवश्य किया जा सकता है।
4. सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता से मुक्ति हेतु -बीमा उद्योगपतियों, व्यवसायियों एवं अन्य व्यक्तियों को सुरक्षा के लिए पूंजी वि नियोग से मुक्त कर दे ता है। थोड़ी सी प्रीमियम का भुगतान करके जोखिम को उस सीमा तक सीमित कर लिया जाता है। अतः इस व्यवस्था में लगने वाले धन का अन्यत्र उपयोग किया जा सकता है।
5. वृहत स्तरीय उपक्रमों के विकास हेतु- बहुत बहुत बड़े उपक्रमों में इतनी अधिक जोखिम होती है कि बीमा के बिना प्रारम्भ करना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव भी हो सकता है।
6. वित्तीय संस्थाओं से वित्त प्राप्ति हेतु -वित्तीय संस्थाओं द्वारा भी इन औद्योगिक व व्यावसायिक संस्थाओं को वित्त तभी प्रदान किया जाता है जबकि इनकी सम्पत्तियों का बीमा हो चुका है। अत : भारी मात्रा में वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भी बीमा आवश्यक है।
7. विदेशी व्यापार विकास हेतु आवश्यक -निर्यात व्यापार के प्रोत्साहन हेतु भी बीमा आवश्यक है। बीमा माल के मूल्य की क्षति की दशा में भी पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है व जिससे निर्यातक क्षति की अनिश्चितता से मुक्त होकर निर्यात कर सकते हैं। बिमा का फायदा हर क्षेत्र में होता है
8. बचत व निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु -जीवन बीमा बचत व विनियोग का अच्छा स्रोत है। जीवन की अनिश्चितताओं को बीमा द्वारा निश्चित करने हेतु अधिक राशि का बी मा कराता है , जिससे अपव्यय कम होकर बचत को प्रोत्साहन मिलता है।
Importance Of Insurance ( बिमा का महत्व )
हमारे जीवन में हो रही घटाए के आधार पर इन्शुरन्स का बहुत महत्व है सभ्यता के विकास के साथ-साथ बीमा का महत्व भी बढ़ता जा रहा है , क्योंकि जोखिमों, दुर्घटनाओं व अनिश्चितताओं , में वृद्धि होती जा रही हे आज हम ऐसे किसी दे श की कल्पना नहीं कर सकते जो बीमा का लाभ नहीं उठा रहा हो। आज बीमा प्रारम्भिक स्वरूप से हट कर सामाजिक व व्यावसायिक जगत के प्रत्येक क्षेत्र में पदार्पण कर चुका है और अपनी उपयोगिता के आधार पर लोकप्रियता प्राप्त करता जा रहा है। बीमा की उपयोगिता से प्रभावितो होकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर विन्स्टन चर्चिल ने कहा था।
बीमा सम्पूर्ण मानवजाति के लिए एवं इससे सम्बन्धित सभी वर्गों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभ पहुँचाता है। संक्षेप में कह सकते है कि आधुनिक युग में बीमा का महत्व दिन दुगुना रात चौगुना होता चला जा रहा है। बीमा के महत्व अथवा लाभों को निम्नांकित वर्गीकरण द्वारा समझा जा सकता है। जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ रही बैसे बैसे हमारे जोखिम की संख्या भी बढ़ रही है
वैयक्तिक या पारिवारिक दृष्टि से महत्व
मितव्ययता व बचत को प्रोत्साहन, जोखिमों से सुरक्षा, विनियोग, बीमित व उसके उत्तराधिकारियों को पूर्ण सुरक्षा , करों में छूट, आय क्षमता का पूंजीकरण, साख सुविधाऐं , वैधानिक दायित्वों से मुक्ति , कार्यक्षमता में वृद्धि, मानसिक शान्ति , स्वावलम्बन को प्रोत्साहन , भविष्य की आवश्यकताओं का नियोजन, सतर्कता को प्रोत्साहन, सामाजिक प्रतिष्ठा व आत्म सम्मान में वृद्धि, वृद्धावस्था में सहारा
Insurance ka व्यावसायिक / आर्थिक दृष्टि से महत्व
वर्तमान आर्थिक जगत की कल्पना बीमा के बिना अधूरी है। व्यवसायी बीमा करवाने की रूपरे खा बना ले ता है ताकि वह पूर्ण शान्ति व तन्मयता के साथ व्यावसायिक क्रियाओं को पूरा कर सके। विख्यात प्रबन्ध विचारक पीटर एफ ड्रकर के अनुसार- “यह कहना अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं है कि बीमा के बिना औद्योगिक अर्थव्यवस्था कोई भी कार्य नहीं कर सकती है।” वास्तविक स्थिति यही है कि बीमा व्यवसाय के सफल संचालन के लिए अपरिहार्य है। आर्थिक दृष्टि से बीमा का महत्व निम्न प्रकार से दृष्टिगोचर होता है -
बचतों को प्रोत्साहन , पूंजी निर्माण , विनियोग का साधन , व्यापार व वाणिज्य में वृद्धि , औद्योगिकरण के लिए आधारभूत संरचना के विकास में सहायक , वृहत् पैमाने के व्यवसायों का विकास , लघु व कुटीर उद्योगों का विकास, उद्यमिता का विकास।, सेवा क्षेत्र के उपक्रमों का विकास , विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन , साझेदारी व्यवसाय में स्थायिता , रोजगार के अवसरों का विकास , व्यावसायिक स्थायित्व में सहायक , महत्वपूर्ण व्यक्तियों की हानि से सुरक्षा , सुरक्षा विधियों को प्रोत्साहन , कर्मचारी हितों की सुरक्षा , कर्मचारी सुरक्षा योजनाओं का आसान प्रबन्ध, मानव संसाधन विकास में योगदान
इन्सुरेंस सामाजिक दृष्टि से महत्व :
समाज में स्थायित्व व सामाजिक समस्याओं के निवारण हेतु बीमा एक महत्वपूर्ण औजार है। समाज को बीमा से अनेक लाभ है जो इस प्रकार है -
सामाजिक सुरक्षा का साधन , जोखिमों का अन्तरण , पारिवारिक जीवन में स्थायित्वता , पारिवारिक विघटन से सुरक्षा , सामाजिक सन्तोष , सामाजिक प्रतिष्ठा का द्योतक , सामाजिक बुराइयों की रोकथाम , शिक्षा को प्रोत्साहन, सतर्कता को प्रोत्साहन, सभ्यता और संस्कृति का विकास , रोजगार अवसरों का विकास , सामाजिक उत्थान कार्यों में योगदान , नागरिक दायित्वों से सुरक्षा , जीवनस्तर में सुधार , परोपकारी कार्यों को प्रोत्साहन , स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता
इन्शुरन्स राष्ट्रीय दृष्टि से महत्व :
राष्ट्रीय बचत में वृद्धि , मुद्रा बाजार के विकास में योगदान , प्राकृतिक जोखिमों से सुरक्षा , मुद्रा स्फीति पर नियन्त्रण , विनियोग को प्रोत्साहन , विदेशी मुद्रा कोष में योगदान , स्कन्ध विनियम केन्द्रों का विकास , वृहत पैमाने के उद्योगों को पूंजी की उपलब्धता , सरकारी प्रतिभू तियों में निवेश द्वारा आर्थिक परियोजनाओं में योगदान , मध्यम व लघु व्यवसायों को प्रोत्साहन , देश में रोजगार को बढ़ावा , राष्ट्रीय महत्व के जोखिम युक्त कार्यों को प्रोत्साहन , राष्ट्रीय आय व उत्पादन में भी निरन्तरता, सम्पूर्ण राष्ट्रीय विकास में योगदान
आशा करता हूँ कि आपको इन्शुरन्स Insurance क्या है आप समझ गए होंगे और हमारे जीवन में क्यों Insurance क्यों करना चाहिए , और Insurance क्यों करना चाहिए इसका महत्व समझ गए होंगे , और अपने सुझाव comment में जरूर दे।
आशा करता हूँ कि आपको इन्शुरन्स Insurance क्या है आप समझ गए होंगे और हमारे जीवन में क्यों Insurance क्यों करना चाहिए , और Insurance क्यों करना चाहिए इसका महत्व समझ गए होंगे , और अपने सुझाव comment में जरूर दे।
No comments:
Post a Comment