एल्फ़ाबेट क्या-क्या करती है?
साल 2015 में गूगल के पुनर्गठन के बाद एल्फ़ाबेट इंक की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य कंपनी की गतिविधियों को "और अधिक जवाबदेह" बनाना है.
(एल्फ़ाबेट क्या है)
इसकी सब्सिडियरी कंपनी बनाई गई और उसे सर्च, मैप, यूट्यूब, क्रोम और ऑपरेटिंग सिस्टम की जिम्मेदारी दी गई.
गूगल के स्वामित्व में पहले से चल रहे अन्य व्यवसायों को एल्फ़ाबेट इंक का हिस्सा बनाया गया.
वेमो
वेमो की शुरुआत साल 2009 में सेल्फ-ड्राइविंग कार बनाने के लिए एक गूगल प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी.
अब इसे एल्फ़ाबेट के तहत एक अलग कंपनी के रूप में चलाया जा रहा है.
कंपनी ने अपनी पहली कमर्शियल सर्विस साल 2018 में शुरू की थी. इसके तहत फीनिक्स और एरिजोना के लोगों को रोबो टैक्सी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.
कैलिको
गूगल ने साल 2013 में कैलिको लैब्स नामक कंपनी की स्थापना की, जो हेल्थ रिसर्च पर काम करती है.
कंपनी का कहना है कि वो चिकित्सा, दवाओं के विकास, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, जेनेटिक्स और इंसान के उम्र बढ़ने के रहस्यों का पता लगाने के लिए काम कर रही है.
साइडवॉक लैब्स
यह स्मार्ट सिटी के सपने को साकार करने के लिए काम करने का दावा करती है.
भीड़ और यातायात को मैनेज करने के लिए डेटा इकट्ठा करने वाले सेंसर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, कंपनी इस पर काम कर रही है.
अक्टूबर में टोरंटो ने कंपनी को एक अनुपयोगी जगह पर स्मार्ट सिटी बसाने की अनुमति दी थी.
कंपनी 190 एकड़ में स्मार्ट सिटी बसाना चाहती थी लेकिन उसे महज 12 एकड़ दिए गए.
डीपमाइंड
साल 2014 में गूगल ने अमरीकी कंपनी डीपमाइंड का अधिग्रहण किया कर लिया था जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर शोध कर रही है.
विंग
विंग एल्फ़ाबेट की ड्रोन डिलिवरी सर्विस कंपनी है.
अप्रैल के महीने में इसकी कॉमर्शियल सर्विस शुरू की गई थी.
ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में करीब 100 घरों तक इसके जरिए खाना, कॉफी और दवाइयां पहुंचाई गई थीं.
लून
गूगल के रिसर्च लैब एक्स ने साल 2011 में इसे बनाया था, जिसे साल 2018 में एल्फ़ाबेट का हिस्सा बना दिया गया.
यह सुदूर इलाक़ों में गुब्बारों के जरिए इंटरनेट पहुंचाने के लिए काम कर रही है.
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